अलवर में हुए पहलू खान के हात्याकांड को लेकर सोशल मीडिया पर घमासान मचा हुआ है. लेकिन इसमें एक ख़ास बात यह दिखाई इ रही है की, कोई भी सेक्युलर पार्टी के नेता द्वारा किसी भी तरह की कोई एक्शन नहीं ली गयी. ऐसे में मुस्लिम कार्यकर्ताओ समेत सेक्युलर गैरमुस्लिमो ने भी स्वघोषित सेक्युलारो पर निशाना साधा है.
विनय कटियार ने सिर्फ दो लाइन में साड़ी कहानी लिख दी
गाय का तस्कर नहीं किसान था वो
गलती इतनी थी की मुसलमान था वो
आईये देखते है उबैद-बा-हुसैन की क्या प्रतिक्रया है.
1. कल अलवर में एक मुस्लिम को मार दिया गया, चार घायल हैं भाई इस देश में ये प्राथमिकता नहीं है. आज कल मुसलमान सिर्फ पिछडो से भी पिछड़ा नहीं बल्कि एक अंक बन गया है गाजर और मूली बन गया है, जिस के मरने के बाद खुद को सेक्युलर कहने वाले अरविन्द केजरीवाल, राहुल गांधी, अशोक चव्हाण से लेकर मुसलमानो को भी आजकल एक मुसलमान के मर जाने का गम नहीं होता.
2. खैर, किसी से उम्मीद नहीं बची है के वो हमें बचाने आएंगे, इत्तिहास गवाह रहा है के जब जब अल्पसंख्यको पर हमले हुए हैं कांग्रेस से लेकर समाजवादियों तक बसपा से लेकर कम्युनिस्ट तक सब हाथ पे हाथ धरे खामोश रहे.
3. आज हर एक मुसलमान ने भी अपने मरने कि तयारी कर रखी है अगर वो नमाज़ से घर वापस लौट रहा होगा तो मोहसीन शेख की तरह मार दिया जायेगा, अगर वो अपने घर में अपने परिवार वालों के साथ आराम से बैठा हो तो अख़लाक़ की तरह मार दिया जायेगा, रूम में पढ़ाई करता बैठा हो तो नजीब की तरह गायब कर दिया जायेगा, अपने ऑफिस में बैठ कर किसी का केस लड़ने की तैयारी कर रहा होगा तो शाहिद अंसारी की तरह मार दिया जायेगा, पोलिस कस्टडी में भी खुद पोलिस मार देगी और जेल में हो तो फरार कर इनकाउंटर कर दिया जायेगा. इन सब के साथ मुजफर नगर से लेकर हाशिममपुरा के फसादात में मरने वाले मुसलमान ही हैं.
4. देश में 22 करोड़ मुसलमान हैं, मान ही लीजिए संघ और उससे जुड़े संघटन वालों ने हम सब को मार ही दिया, आप तो बचे रहेंगे, किया हासिल होगा ? हमारी लाशो को कहाँ कहाँ ठिकाने लगाओगे, हमारे लहू की नदी गंगा के समान बहेगी और उससे बहते पानी की आवाज़ आप से सवाल करेगी, वो पूछेगी क्या और कोई मुस्लमान बचा है इस विराट भूमि पर ? जब मुसलमान खत्म होंगे तो सिर्फ हमारी रूह इस ज़मीन पर परेशां नहीं होगी, परेशां तो आप भी होंगे जब देर रात हवा में हमारी लाशो से निकलती बदबो आप को सोने नहीं देगी ? जब आप के बचे हमारे कंकाल देखेंगे तो सवाल करेंगे के ये क्या है ? क्या जवाब दोगे ?
5. पर जब तक आप हम सब को मार डालोगे तब तक आप भी तो वहशी बन जाओगे, फिर किस को अपना निशाना बनाओगे ? जब 22 करोड़ मुसलमानो को मार डालोगे तो अपनी खून की बहाने की आदत से मजबूर फिर किसका खून बहाओगे ?
6. आज जो लोग मुसलमानो की मौत पर एक आह! भी नहीं करते उन्हें भी याद रख लेना चाहिए के इस विराट भूमि पर जब आग लगेगी तो आग आप के दामन तक ज़रूर आएगी, उस समय हम कहीं दूर आसमान में बैठे ये देख रहे होंगे किस तरह जात-पात की लड़ाइयों में खून बहेगा..जो आज खामोश है तमाशाई हैं इसका विरोध तक नहीं करते कल आपके लिए भी कोई नहीं आएगा, याद रखना...!
सामाजिक कार्यकर्ता, नांदेड (महाराष्ट्र)