चुनाव आयोग ने EVM गड़बड़ी से किया था इनकार, लोग पूछ रहे है क्यों हटाया अधिकारियों को ?

CITY TIMES
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याद रहे यूपी चुनाव नतीजो के बाद बीजेपी के अलावा सभी पार्टियों ने EVM में छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे. उस वक्त निर्वाचन आयोग ने EVM छेड़छाड़ से साफ़ इनकार किया था. और EVM का विरोध करने वालो को फटकार लगाते हुए कहा था की, EVM छेड़छाड़ के साबुत दो, उसके बाद कारवाई की जाएगी. अब चुनाव आयोग को evm में छेड़छाड़ के पुख्ता सबूत भी मिल और इस मामले में 19 अधिकारियों को भी हटाया गया. अब देखना यह है की, चुनाव आयोग कब और कितने जल्दी जांच के आदेश देता है.
ग्वालियर- यूपी का चुनाव खत्म होने के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती लगातार ईवीएम मशीनों पर सवाल उठा रही हैं, लेकिन चुनाव आयोग इसे लगातार नकारता रहा है। चुनाव आयोग ने इस मामले पर कोई कार्रवाई करने के बजाय सारे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए नकार दिया था। इतना ही नहीं, मायावती के आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने 16 मार्च को एक नॉटिफिकेशन जारी कर पिछले मामलों की भी दुहाई दी थी। 

लेकिन इस बीच खबर है कि ईवीएम मशीन में डेमो के दौरान किसी भी बटन को दबाने पर भाजपा को वोट मिलने का दावे के बाद भिंड के कलेक्टर इलैया राजा टी और एसपी अनिल सिंह कुशवाह का चुनाव आयोग ने ट्रांसफर कर दिया है। इसके साथ कुछ अन्य अफसरों की यहां से हटाया जा रहा है। चुनाव आयोग ने इसे मशीन में गड़बड़ी करार दिया था। सवाल यह उठता है कि जब यह केवल मशीन में गड़बड़ी थी तो इन दो अफसरों को क्यों हटाया गया?


आपको बता दें कि शुक्रवार को दावा किया गया कि ईवीएम डेमो में किसी भी बटन को दबाने पर बीजेपी को वोट गया। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि मध्यप्रदेश की मुख्य चुनाव अधिकारी सलीना सिंह ने पत्रकारों को यह खबर छापने पर पुलिस थाने में हिरासत में रखने की चेतावनी दी थी। शनिवार को इस मुद्दे पर खूब हंगामा हुआ। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की और आगे से सभी चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से ही कराने की मांग की। 


इसके बाद चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मंगाई और तुरंत भिंड के कलेक्टर इलैया राजा टी और एसपी अनिल सिंह कुशवाह का एक साथ ट्रांसफर कर दिया। यहां पर बाद में दोनों अफसरों की नियुक्ति कराई जाएगी। उल्लेखीय है कि अटेर में VVPAT मशीन से वोटिंग होनी है। यह एक ऐसी मशीन होती है जिससे निकली पर्ची यह दिखाती है कि मतदाता ने किस पार्टी को वोट दिया है।

हाल में हुए सभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से EVM की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया गया उससे लोगों के मन में इसपर प्रश्नचिंह उठना लाज़मी है। यही कारण रहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेज कर जवाब मांग लिए। इसी बीच पाटीदार आन्दोलन की कन्वेनर तथा समाजसेवी रेशमा पटेल ने आज RTI दाखिल कर चुनाव आयोग से EVM से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी है।


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अपने RTI में उन्होंने चुनाव आयोग से जानकारी मांगते हुए लिखा है कि वो evm मशीन खरीदना चाहती है जिससे की उसकी जांच अपने एक्सपर्ट से करवा सके, गौरतलब है की चुनावो के नतीजे आने के बाद से लगभग सभी पार्टियों के खुलकर EVM की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया है।

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सूचना के अधिकार तहत मांगी की जानकारी में निम्लिखित महत्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख किया गया है:

आज तक संपन्न हुए चुनावों की कुल मिलाकर कितनी EVM मशीनों का इस्तेमाल किया गया है ?
EVM की मैन्युफैक्चरिंग डेट क्या है?
EVM बनाने वाली कंपनियों के नाम बताएं, तथा यह भी बताएं की मशीन किस तरह बनायीं जाती है ?
EVM में कौन सा सॉफ्टवेर इस्तेमाल किया गया है?
सुरक्षा के लिहाज से EVM कितनी सुरक्षित है तथा इसमें यूजर इंटरफ़ेस तथा सॉफ्टवेर के मध्य में सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होने वाले फ़ायरवॉल सुरक्षा मानक कितना है ?
EVM की आन्तरिक कार्य प्रणाली को बताएं।
उन टेक्निकल एक्सपर्ट के नाम बताएं जो EVM को टेस्ट करते है चेक करने के बाद वेरीफाई करते है ?
जिस जगह EVM स्टोर की जाती है वहां कितने स्टाफ की ड्यूटी रहती है तथा कितने लोग सिक्यूरिटी में रहते है?
इस तरह कुल मिलाकर चुनाव आयोग से 31 बिन्दुओं की जानकारी मांगी गयी है। अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि  आयोग कितने बिंदुओं पर जानकारी मुहैया करा पाता है। 



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