संतो ने कहा "यदि मुस्लिम न होते तो हम मर जाते" संघियों के षड्यंत्रों पर संतो ने फेरा पानी

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मेरठ.यूपी के मुजफ्फरनगर में खतौली रेलवे स्टेशन के पास जहां उत्कल एक्सप्रेस हादसा हुआ, उसके एक ओर अहमद नगर नाम की नई आबादी है। ये मुस्लिम बस्ती है, जबकि रेलवे पटरी के दूसरी तरफ 'जगत' नाम की कॉलोनी और तहसील है। ये इलाका हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है। रेल हादसे के बाद यहां धर्म और मजहब की सभी दीवारें टूट गईं। मुस्लिम और हिंदू युवकों ने मिलकर ट्रेन में फंसे घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाने का काम शुरू किया। घायल संतों का कहना है- अगर मुस्ल‍िम युवक समय पर न आते तो बचना मुश्क‍िल था। बता दें, शनिवार को हुए इस हादसे में 23 लोगों की मौत हुई है और 156 से ज्यादा लोग घायल हैं।

40 से अधिक घायलों को निकाला बाहर

- अहमद नगर के मोहम्मद रिजवान और अनीस ने बताया, जिस समय ये हादसा हुआ वो अपने घर के बाहर खड़े थे। आवाज सुनकर वो भी घबरा गए कि आखिर हुआ क्या? लेकिन जैसे ही रेलवे ट्रैक की ओर देखा तो होश उड़ गए। ट्रेन पटल गई थी और वहां धुएं के गुब्बारे उड़ रहे थे।
- ट्रेन के डिब्बे से चीखों की आवाज आ रही थी। सब लोग दौड़ पड़े और घायलों को बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया गया। रिजवान कहते हैं कि एक ही डिब्बे से 40 से अधिक घायलों को बाहर निकाला, 5-6 ऐसे थे जिनकी मौत हो चुकी थी।

- इरशाद ने बताया, लोग घायलों की मदद के लिए अपने घरों से चारपाई आदि लेकर पहुंच गए। जब तक एंबुलेंस नहीं आई, तब तक घायलों को चारपाई आदि पर लिटाया गया। जिससे जैसी मदद हो रही थी, वो कर रहा था।
- पूरा मोहल्ला अपने घरों से निकलकर घायलों की मदद कर रहा था। खतौली के मिस्त्री-मैकेनिक भी वहां पहुंच गए। उन्होंने अपने औजारों की मदद से डिब्बे काटकर उसमें फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू कर दिया।




आसपास के गांव से भी लोग दौड़े
- ट्रेन पलटने की सूचना पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई। आसपास के गांव के लोग भी मौके पर पहुंच गए और राहत कार्य में हाथ बंटाने का काम शुरू की दिया।
- देवेंद्र ने बताया, कई घायलों की हालत बेहद चिंता जनक थी। सभी घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल भिजवाया जा रहा था। गांव से आए लोगों ने भी घायलों को बाहर निकलवाकर अस्पताल पहुंचाने का काम शुरू किया।

फरिश्ते बनकर आए मुस्लिम युवक
- इस हादसे में घायल हुए संत हरिदास ने बताया, सब कुछ अचानक हुआ। तेज धमाके की आवाज के बाद डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए। चीख-पुकार मच गई। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर हुआ क्या? कुछ होश आया तो डिब्बे पूरी तरह पलट चुके हैं। लोग जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे, ऐसे में पास की मुस्लिम बस्ती से कुछ युवक दौड़कर आए और एक-एक कर डिब्बे में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने लगे।
- ट्रेन में यात्रा कर रहे संत मोनीदास के मुताबिक, यदि समय रहते मुस्लिम युवक उन्हें न बचाते, तो मरने वालों की संख्या और अधिक 

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