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अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल की हत्या करने वाला भी जांबाज एक मुसलमान ही था- जस्टिस खेहर
2014 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा केन्द्र में सरकार के गठन के बाद से देश में जहां मुसलमानों और दलितों पर हिंदुत्ववादी शक्तियों के हमलों में अभूतपूर्व वृद्धि देखने में आ रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने देश की स्वतंत्रता में मुसलमानों की भूमिका पर बल दिया है।सुप्रीम कोर्ट में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के 71वें समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण की शुरूआत इस सवाल के साथ की, क्या आपने कभी अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले अब्दुल्लाह का नाम सुना है?
जस्टिस जेएस खेहर ने अपने सवाल का ख़ुद ही जवाब देते हुए कहा, अब्दुल्लाह एक मुस्लिम जांबाज़ थे, जिन्होंने ब्रितानी साम्राज्य की भेदभावपूर्ण नीतियों का विरोध करते हुए 28 सितम्बर 1871 को कोलकता में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जान पेकिंस्टन नारमन को चाक़ू मारकर घायल कर दिया। अगले ही दिन अंग्रेज़ न्यायाधीश की मौत हो गई।
उन्होंने उल्लेख किया कि अतिक्रमणकारी मुख्य न्यायाधीश पर हमले के बाद अब्दुल्लाह भागे नहीं, बल्कि उन्होंने ख़ुद को पुलिस के हवाले कर दिया। वह एक वहीदी मुसलमान थे और अंग्रेज़ों की अन्यायपूर्ण नीतियों के मुखर विरोधी थे।
इस घटना के बाद भारत में ब्रिटेन के गर्वनर जनरल ने एलान कर दिया कि वह एक भी वहीदी मुसलमान को ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे।
4 फ़रवरी 1872 को अंग्रेज़ गर्वनर जनरल की शेर अली आफ़रीदी नामक एक मुसलमान ने चाक़ू से हमला करके हत्या कर दी। लेकिन आज भारत में कितने लोग अंग्रेज़ गर्वरन जनरल की हत्या करने वाले के बारे में जानते हैं?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा देश की स्वतंत्रा में मुसलमानों की भूमिका के महत्व को कम नहीं किया जा सकता।
इस घटना के बाद भारत में ब्रिटेन के गर्वनर जनरल ने एलान कर दिया कि वह एक भी वहीदी मुसलमान को ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा देश की स्वतंत्रा में मुसलमानों की भूमिका के महत्व को कम नहीं किया जा सकता।
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