डरी हुई योगी सरकार लोगो को डरा रही है -रिहाई मंच

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शाहिद आजमी की शहादत की बरसी पर प्रदेश भर का युवा नेतृत्व हुआ इकठ्ठा, बनाई आंदोलन की रणनीति
योगी सरकार के खिलाफ सड़क पर युवा करेगा विपक्ष का निर्माण- मो0 शुएब
लखनऊ। शाहिद आजमी की शहादत की 8वीं बरसी पर रिहाई मंच ने सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत प्रदेश भर के नेताओं का सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में योगी राज में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और फर्जी मुठभेड़ों का मुद्दा छाया रहा है। सम्मेलन ने 9 सूत्रीय प्रस्ताव पारित करते हुए प्रदेश व्यापी आंदोलन चलाने का ऐलान किया।

कैफी आजमी एकेडमी में आयोजित दो सत्रीय सम्मेेलन के मुख्यवक्ता के बतौर वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि दलितों और मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की वजह इन समुदायों में बढ़ती राजनीतिक जागरूकता है। इस जागरूकता से सरकारें जब डरती हैं तो हिंसा का सहारा लेती हैं। उन तबकों के खिलाफ कभी काले कानून बनाए जाते हैं तो कभी उनके छात्रों की स्काॅलरशिप राकने की रणनीति अपनाई जाती है। भाजपा सरकार यही कर रही है। अनिल चमड़िया ने कहा कि सामाजिक न्याय का मतलब सिर्फ आरक्षण और सत्ता में भागीदारी नहीं होती। इसका मतलब एक समतामूलक समाज निमार्ण होता है। अब तक कि सामाजिक न्याय की धारा की पार्टियां इसमें विफल रही हैं। इसीलिए इन तबकों से नए नेतृत्व का उभार हो रहा है जिससे भाजपा डरी हुई है। उन्होंने कहा कि जब सांप्रदायिक हिंसा होगी तब जातीय हिंसा भी होगी। इसलिए जातिवाद के खिलाफ संघर्ष को साम्प्रदायिकता कि खिलाफ भी होना ही होगा। 

भीम आर्मी के नेता महक सिंह ने कहा कि देश में दलित और मुस्लिम विरोधी वातावरण चल रहा है। भीम आर्मी को सरकार इसलिए पसंद नहीं करती कि हम इस नफरत की राजनीति के खिलाफ हैं। योगी को समझ लेना चाहिए कि हमारे नेता चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ को जेल भेजने से हमारा आंदोलन कमजोर नहीं पड़ने वाला। आने वाले दिनों में हम रिहाई मंच जैसे संगठनों के साथ एकजुट हो कर योगी सरकार को उसकी औकात बताएंगे।
देवरिया से आईं अम्बेडकरवादी छात्रसभा की महिला मोर्चा अध्यक्ष अन्नू प्रसाद ने कहा कि दलितों में आई जागरुकता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतना डर गए हैं कि उनके गोरखपुर के हर दौरे से 24 घंटे पहले ही संगठन के अध्यक्ष अमर सिंह पासवान को अवैध हिरासत में ले लिया जाता है। उन्होंने कहा कि डरी हुई सरकार लोगों को डरा रही है।

न्यायमंच बिहार के संयोजक प्रशांत निहाल ने कहा कि योगी सरकार में ब्राम्हणवादी हमले हो रहे हैं और दूसरी तरफ सांप्रदायिक फासीवाद का प्रसार बढ़ा है। पुलिस का रोल वर्तमान समय में राजनैतिक गठजोड़ के तहत काम कर रही है। सपा और बसपा सरकार में भी दलितों और पिछड़ों पर किए गए कारनामों का भी हिसाब मांगा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रिजवेशन के अंदर दलित मुसलमानों और इसाईयों के आरक्षण का सवाल भी उठाना होगा। मंडल में जमीन बंटवारे पर भी बात थी लेकिन बात नही हुई। मंडल के बाद पिछड़ी प्रतिनिधित्व की सरकारें बनीं लेकिन इन सरकारों ने पिछड़ों और दलितों में कुछ खास जातियों को फायदा हुआ। मोदी सरकार के आने के पीछे यह भी एक फैक्टर था। बीजेपी ने इस अंतर को उपयोग किया।

पूर्व सांसद इलियास आजमी ने कहा कि हर दौर में जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वाले पैदा होते हैं और होते रहेंगे और सरकारें भी हमेशा उनके दमन की साजिशें रचती रही हैं और रचती रहेंगी। लेकिन अंत में जीत हमेशा सच्चाई की होती है। इसी उम्मीद के साथ जुल्म के खिलाफ आवाज उठाते रहना होगा।
बंुदेलखंड दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष कुलदीप बौध ने कहा कि योगी जब किसी दलित इलाके में जाते हैं तो दलितों के बीच साबुन और शैम्पू बांटा जाता है। दूसरी तरफ योगी कहते हैं कि दलितों के बिना हिंदुत्व पूरा नहीं होगा। अब दलितों को खुद समझना चाहिए कि हिंदुत्व में उनकी हैसियत क्या है।

आजमगढ़ रिहाई मंच नेता मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि पूरे प्रदेश में जाति और धार्मिक पहचान के नाम पर फर्जी मुठभेड़ किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री खुद फर्जी मुठभेड़ों के लिए सार्वजनिक बयान दे कर पुलिस का अपराधीकरण कर रहे हैं। यहां तक मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों का भी वो जवाब नहीं दे रहे हैं।
बलिया से आए दलित, पिछड़ा, आदिवासी अल्पसंख्यक मंच के राघवेंद्र राम ने कहा कि रसड़ा बलिया में गाय चोरी के नाम पर दलित युवकों का उत्पीड़न किया गया। लेकिन बसपा विधायक उमाशंकर सिंह और बसपा ने कोई सवाल नहीं उठाया। आंदोलन हुआ तब एफआईआर दर्ज हो पाया। लेकिन हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े मुख्यआरोपी कौशलेन्द्र गिरी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई उल्टे पाड़ितों को ही जेल भेज दिया गया।  
जैद फारूकी ने कहा कि यूपीकोका पर विपक्ष ने कोई विरोध नहीं किया। इसमें मीडिया पर यह उपबंध है कि बिना एसएसपी के आदेश के यूपीकोका के मामलों की रिपोर्टिंग नहीं होगी। यह कानून दलितों अल्पसंख्यकों की आवाज दबाने के लिए ही लाया जा रहा है।




मुजफ्फरनगर से आए उस्मान इंजिनियर ने कहा कि खतोली में नाबालिग बच्चियों पर 307 का केस लगाकर जेल भेज दिया गया। आज तक उन बच्चियों की जमानत नहीं हुई जबकि सरकार बेटी पढ़ाओ-बेटी बढ़ाओ का नारा लगा रही है।
मुजफ्फरनगर से आए जाकिर अली त्यागी ने कहा कि योगी सरकार ने उन्हें महने भर तक सिर्फ इस जुर्म में जेल में डाल दिया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ दर्ज मुकदमों की सूची के साथ फेसबुक पर एक पोस्ट लिख दिया था।
प्रतापगढ़ के पट्टी विधानसभा क्षेत्र से आए पीड़ित शैलेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि पिछले कुद दिनों के अंदर सामंती और पुलिस गठजोड़ ने उनके इलाके के यादव जाति के 17 लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे लाद दिए हैं। जो सरकार के सामंती चरित्र को उजागर करती है। 

आजमगढ़ से आए शाह आलम शेरवानी ने कहा कि एक बार फिर से सामाजिक न्याय की नई राजनीति खड़ा करने का दौर आ गया है। इसमें दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को एक नई कयादत के साथ आना होगा। आज का यह सम्मेेलन इस दिशा में ऐतिहासिक होगा।
आजमगढ़ से आए हीरा लाल यादव ने कहा कि उनके पांच वर्षीय बेटे कृष्णा की हत्या के बाद उन्होंने मुलायम सिंह से उनके घर पर मिलने की कोशिश की लेकिन उनको वहां से उनकी अर्जी फाड़ कर भगा दिया गया। जबकि उन्होंने अब तक सपा को ही वोट दिया था। यही कथित सामाजिक न्याय की राजनीति का असली चेहरा है।
तारिक शमीम ने कहा कि इस दौर में अगर फासीवाद से लड़ना है तो दलितों और मुसलमानों को एक दूसरे के साथ किए गए नाइंसाफियों के लिए प्रायश्चित करना होगा। भाजपा सिर्फ मुसलमानों के ही खिलाफ नहीं है वह इस देश के संविधान और संस्कृति के खिलाफ है। इसलिए भाजपा के खिलाफ कोई भी आंदोलन संविधान को बचाने का आंदोलन है।

नाहिद अकील ने कहा कि योगी सरकार में महिलाओं पर पिछली सरकारों से भी ज्यादा हमले हो रहे हैं। सरकार महिला सशक्तिकरण का सिर्फ नारा लगा रही है।
अध्यक्षीय भाषण में रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मो0 शुऐब ने कहा कि योगी सरकार के आने के बाद पूरे प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों पर हमले बढ़े हैं।  इस सम्मेलन में पूरे प्रदेश भर से युवा नेतृत्व का शामिल होना नई राजनीति की इबारत लिखेगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष जब अपनी भूमिका में न हो तब प्रदेश के नौजवानों को सड़कों पर विपक्ष तैयार करना होगा। 

सम्मेलन में अलीगढ़ विश्वविद्यालय से आमिर मंटोई, इमरान, हैदर अली, मो0 अहमद, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दिनेश चैधरी, सुनील यादव, जेएनयू से दिलीप कुमार, जालौन से रिहाना मंसूरी, बलिया से बलवंत यादव, लखीमपुर खीरी से क्रांति कुमार सिंह, रफत फातिमा, देवरिया से किसान नेता शिवा जी राय, प्रातापगढ़ से मौलाना इसरार, डुमरियागंज से डाफ मजहरहुल हक, बलरामपुर से आए शबरोज मोहम्मदी, ने भी बात रखी। सम्मेलन में दिल्ली से आए एच आर खान, जुल्फीकार अली, अबूजर चैधरी, खतौली मुजफ्फरनगर से मो0 हसीन, नानपारा बहराइच से कलामुद्दीन खान, फखरूद्दीन, इसरारुल इस्लाम, नूर आजाद खान, फैजाबाद से गुफरान सिद्दीकी, नसीब अहमद, हफीज लश्करी, गोंडा से रफीउद्दीन खान, हादी खान, लखीमपुर खीरी से मोनिस अंसारी, वासिफ, इमरान खान, अश्वनी सिंह, सलमान खान, अफजल खान, सीतापुर से मो0 जावेद, कोलकाता से शाह मोहियुद्दीन, डाॅ सैफ आजमी, मुरादाबाद से सलीम बेग, इलाहाबाद से उत्कर्ष, हेमंत कुमार, अनुराग वर्मा, अंनुश उमराव, शिवम यादव, प्रतापगढ़ से राघवेंद्र यादव, शेरू बाबा, जौनपुर से औसाफ अहमद, आदियोग, विरेंद्र गुप्ता, शम्सतबरेज, विरेंद्र त्रिपाठी, अजय शर्मा, बीएचयू बनारस से कुणाल गुप्ता, लक्षमण प्रसाद, हरे राम मिश्र, एहसानुल हक मलिक, कमर सीतापुरी, राॅबिन, संजोग वाॅल्टर, शिल्पी, शकील सिद्दीकी, मो0 मसूद, कल्पना पांडेय, शकील कुरैशी, रेखा गुप्ता, नीति सक्सेेना, डाॅ मंजूर अली, अकील, इमरान अंसारी, भूरे लाल, सर्वेश कुमार गुप्ता, भगत सिंह यादव, मो0 अरशद आजमी, इरशाद राही, केके शुक्ल, केके वत्स, मो0 एहसन, होमेंद्र कुमार, उदयनाथ सिंह, राजीव मित्तल, राजीव ध्यानी, आशुतोष पासवान, एडवोकेट अंजू गुप्ता, आमिर महफूज, राजीव यादव आदि समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे। संचालन शाहनवाज आलम और अनिल यादव ने किया।




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