फातिमा शेख ना होती तो आज भारत की महिलाए सुशिक्षित ना होती

CITY TIMES
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भारत में पहला कन्या स्कूल खोलने वाली समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का 3 जनवरी 1831 को जन्म हुआ. सावित्रीबाई फुले ट्विटर पर टॉप ट्रेंड्स में शामिल रहीं. वजह है सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि. सावित्रीबाई का निधन 10 मार्च 1897 को प्लेग बीमारी की वजह से हुआ था. पर क्या आपको पता है भारत का पहला कन्या स्कूल खोलने में फ़ातिमा शेख़ ने सावित्रीबाई फुले की मदद की थी.

फ़ातिमा शेख़ सावित्रीबाई फुले की सहयोगी थीं. जब ज्योतिबा और सावित्री फुले ने लड़कियों के लिए स्कूल खोलने का बीड़ा उठाया, तब फ़ातिमा शेख़ ने भी इस मुहिम में उनका साथ दिया. उस ज़माने में अध्यापक मिलने मुश्किल थे. फ़ातिमा शेख़ ने सावित्रीबाई के स्कूल में पढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी संभाली. इसके लिए उन्हें समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ा. फुले के पिता ने जब दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए किए जा रहे उनके कामों की वजह से उनके परिवार को घर से निकाल दिया था, तब फ़ातिमा शेख़ के बड़े भाई उस्मान शेख़ ने ही उन्हें अपने घर में जगह दी.

 वर्णव्यवस्था के दौर में महिलाओं और अछूत इनको शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी. भारत में वर्ण व्यवस्था पांच हजार साल से सतीत्व में थी. इस वर्ण व्यवस्था को ख़त्म करने के लिए गौतम बुद्ध, शिवाजी महाराज, राष्ट्रपिता फुले से लेकर बाबासाहब आंबेडकर तक सभी ने अपनी जिंदगियां लगा दि, तब जाकर वर्ण व्यवस्था का सफाया हो पाया. इसी वर्ण व्यवस्था की शिकार महिलाओं को शिक्षा हासिल करने की पाबंदी थी.


उस वक्त राष्ट्रपिता फुले और सावित्रीमाँ फुले इन्होने पहले स्कुल की नीव रची. लेकिन वर्णव्यवस्था के हिसाब से फुले दंपत्ति को शुद्र माना जाता था. इसलिए उनको कई तकलीफों का सामना करना पडा. यहांतक की वह अपने घर से भी निकाले गए. फिर उस्मान शेख नाम के व्यक्ति उन्हें सहारा दिया और महिलाओं के लिए खोली गयी पहली स्कुल में फातिमा शेख ने सुरक्षा दि और खुद पहले स्कुल की शिक्षिका के रूप में महिलाओं को शिक्षा देने का महान कार्य शुरू किया. शुद्र होने के नाते फुले दंपत्ति को किसी भी तरह का अधिकार ना होने के वजह से उन्हें उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख का अहम् सपोर्ट रहा. तब जाकर फुले दंपत्ति ने अपना सपना पूरा किया. अपनी जिन्दगिया न्योछावर कर महिलाओ को सुशिक्षित करने वाले महान फुले दंपत्ति और फातिमा शेख को सलाम. 

लेकिन अब बहुत कम ही लोग उस्मान शेख़ और फ़ातिमा शेख़ के बारे में जानते हैं. अब यह हमारा फर्ज है की लोगो तक यह खबर पहुंचाए.




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