इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी हो सकती है इसके प्रमाण सुप्रीम कोर्ट ने भी दिए है दी. ८ अक्तूबर २०१३ को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद न. २९ में स्पष्ट निर्णय है के, ई.व्ही.एम. मशीन में पेपर ट्रेल के बगैर मुक्त और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया नहीं हो सकती. ( without paper trail – free and fair transparent election ) इसका मतलब यही है के मशीन में गाबदी की जा सकती है. इसके बावजूद इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हूवे २०१४ की लोकसभा और विधानसभा के चुनाव किये. इसीलिए यह चुनाव प्रक्रिया freefreeफ्री ऐंड फेअर नहीं हूवी. पेपर ट्रेल नहीं होने के कारण मतदार ने किस उमेदवार वोट दिया यह पता नहीं चलता. इसकी कोई पावती नहीं मिलती. हमारे ९५% मतदाता इस बात को जानते हुवे भी अनजान है इसी लिए मतदार जागृति के तहत हम आपके सामने कुछ नमूने पेश करना चाहते है. हमको उम्मीद है के आप इस विषय पर गौर करेंगे और देश की लोकशाही और अखण्डता कायम रखने के लिए मदत करेंगे.
कई जगह पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा और राज्यसभा चुनाव में सिर्फ दो जिलो में पर्ची वाली मशीन लगाई गयी थी.
ईवीएम विदेश में बनती है जापान , जर्मनी, चीन जैसे देशो में वो देश ईवीएम मशीन हमें बेचते है उनका धंदा है लेकिन वह इस मशीन से चुनाव प्रक्रिया को अंजाम नहीं देते.
जब भारत के माननीय न्यायालय ने संदेह जताकर पर्ची की योजना लागू करने के आदेश निर्वाचन योग को दिए इससे बड़ा ईवीएम पर संदेह करने के लिए और कोई सबूत नहीं हो सकता.
चुनाव अधिकारी को खरीदकर भी ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकती है, इसके भी सबूत मिले है. लेकिन बैलेट पेपर में ऐसी गड़बड़ी की तिलमात्र संभावना नहीं है. स्टाम्प लगाने के लिए काफी वक्त लग सकता है. मानलो 1000 वोट बढाने है और एक हजार कम करने है तो इसको करीब दो घंटे लग जायेंगे. लेकिन ईवीएम में यह काम मिनीटो में किया जा सकता है.
ईवीएम पर तभी से सवाल उठने लगे है जबसे ईवीएम लागू किया गया. कुछ लोगो का मानना है की, विपक्ष वाले ईवीएम के संदेह पर आवाज क्यों नहीं उठा रहे. तब इसका जवाब कुछ बड़े विद्वानों ने ऐसे दिया की, "आज जो विपक्ष में है वह पक्ष में ईवीएम में गड़बड़ी कर के ही थे अगर आज वह ईवीएम पर अन्देह जताते है तो आज का सत्ताधारी पक्ष उनकी पोल खोल सकता है"
कई इलाको में ऐसा भी हुआ है जहां प्रत्याशी (उमेदवार) को खुदका भी वोट नहीं मिला. रिश्तेदार, पत्नी, पती, माता-पिता ने वोट नहीं किया ऐसा अगर थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए तो कम से कम उमेदवार अकेला तो खुदको वोट देगा ही ना ? फिर प्रत्याशी को खुदका वोट नहीं मिलना यह भी एक सबूत है