मुंबई। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी को लेकर बीएसपी कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। इसके बावजूद चुनाव आयोग इसे टेंपर प्रूफ बताकर एकदम विश्वसनीय बताने पर अड़ा है। मध्य प्रदेश में चोरी पकड़े जाने के बाद भी चुनाव आयोग ने इसकी जांच के बजाय अधिकारियों को हटा दिया है। इतना ही नहीं 9 लाख नई मशीनें खरीदी जा रही हैं। ईवीएम पर चल रही बहस के बीच मुंबई के वकोला इलाके में 600 लोगों ने जनहित याचिका दायर की है।
इन्होंने हलफनामा देकर कहा है कि उन सबने अपने पसंदीदा निर्दलीय उम्मीदवार को वोट किया लेकिन कई के वोट उसे मिले ही नहीं। 600 लोगों की शिकायत है, कह रहे हैं कि वोट चोरी हो गए, अदालत दखल दे। बाकायदा हलफनाम देकर बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि बीएमसी चुनावों में उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया उसे इनका वोट नहीं मिला।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला मुंबई के वकोला इलाके में वार्ड नंबर 88 का है। वार्ड में 13 उम्मीदवार चुनावी समर में कूदे थे जिनमें निर्दलीय नीलोत्पल मृणाल भी थे। उन्हें महज 375 वोट मिले। सीट शिवसेना के खाते में गई लेकिन अब इलाके के 600 मतदाताओं ने एफिडेविट पर साइन करके, अपने वोटर आईडी की फोटो कॉपी के साथ, नाम, पता, मोबाइल नंबर लिखकर हाईकोर्ट में अर्जी दी है। याचिकाकर्ता ताहिर शेख ने कहा ''मैं खुद काउंटिंग के दिन बैठा था। जब वोट गिने तो मैं बहुत निराश हुआ फिर हमने इलाके के लोगों के साथ बैठक की और तय किया कि कुछ करना है इसलिए हमने पीआईएल दी।''
चुनाव हारने के बाद नीलोत्पल मृणाल का दावा है कि उन्होंने बीएमसी से आधिकारिक जानकारी मांगी जिससे उन्हें पता लगा कि कई वॉर्डों में जिन लोगों ने हलफनामे पर सहमति दी उससे कम वोट उन्हें मिले। नीलोत्पल ने कहा ''अगर मुझे हर बूथ से 50-60 वोट मिलते तो शायद पता करने में दिक्कत होती लेकिन 4-5 वोट मिले जहां से दुगुने से ज्यादा लोगों ने मुझे शपथपत्र देकर कहा कि उन्होंने मुझे वोट दिया था। मतदाता जानना चाहते हैं कि मामला ईवीएम में खराबी का है या उसके साथ छेड़छाड़ का।'' याचिकाकर्ताओं के वकील श्रवण गिरी ने ''कहा याचिका दाखिल हो गई है। किसी भी दिन सुनवाई की तारीख आ सकती है। हम चाहते हैं कि अदालत जांच करवाए कि लोगों के वोट कहां गए?''
उम्मीदवार का दावा है कि भले ही 600 लोगों ने हलफनामा दिया हो लेकिन उन्हें वोट करने वालों की तादाद इससे कहीं ज्यादा है। वैसे फैसला हक में आने पर भी वे दुबारा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उधर लोगों की शिकायत है कि उन्हें अपनी पसंद का पार्षद नहीं मिल पाया। जनता की अर्जी है, फैसला अदालत को करना है।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 2 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। उसकी तैयारी के दौरान ट्रायल कराया जा रहा था। वहां मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पत्रकारों के सामने ही ईवीएम के चार बटन दबाए तब इसमें से दो पर कमल के निशान वाली पर्ची निकली। यह मामला वीवीपीएटी लगे होने के कारण पकड़ में आया। इसपर अधिकारी ने पत्रकारों को धमकी दी कि इस खबर को छापना मत वरना थाने में बंद करा दिए जाओगे। इस मामले को लेकर राज्यसभा में भी हंगामा हुआ। (नेशनल दस्तक)