जस्टिस कर्नन ही चाहिए ऐसे मनुवादी मांत्रिक तांत्रिक को सुधारने के लिए -Ubaid Ba-Hussain

CITY TIMES
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सोशल डायरी, ब्यूरो
नांदेड, सोशल मीडिया युवाओं के लिए अपनी बात लाखो लोगो के सामने खुलकर रखने का एक बहेतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है. विश्व में सोशल मीडिया ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पीछे छोड़ा है. आज का जागरुक युवा अपनी बात, क्रिया-प्रतिक्रया, सुझाव एवं आन्दोलन के मुद्दों को कुछ ही मिनीटो में लाखो लोगो के सामने रखने में सफलता हासिल कर रहा है. प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के दौर में यह संभव नहीं था. आईये देखते है सोशल मीडिया पर एक्टिव सामाजिक कार्यकर्ता क्या कहते है उस मुद्दे पर जो मुद्दा आज का सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहा.



मा. न्यायधीश महोदय,
राजिस्थान.
आप की सेवा में ये फोटो भेज रहा हूँ बराय मेहरबानी मुझे या इन मोर-मोरनी के जोड़े को कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट के जुर्म में गिरफ्तार न कर लेना, वैसे इश्क़ और मुश्क छुपाये नहीं छुपते..

आज जो जज ने बोला है के 143 पनो के फैसले में उन्होंने वैद के विधि विधानों में लिखित नियमो की बिनापर केंद्र सरकार को सूचित किया है के गाय को राष्टीय जानवर घोषित किया जाए, लेकिन यहाँ तक ठीक था लेकिन जो कुतर्क मा. जज महोदय ने दिए हैं के जैसे मोर के बारे में कहा के वो ब्रह्मचारी है वो कभी सेक्स नहीं करता, इसी लिए उसे राष्ट्रिय पक्षी घोषित किया गया. इसके साथ ही उनका मानना है के गाय इतना उपयुक्त जानवर है के उसको "तांत्रिक" विद्या में भी इस्तेमाल किया जाता है, मान गए भाई बाबा साहब का संविधान आज इस देश में एक किताब बन ही गया है और बने भी क्यों नहीं हमारा विरोध बुनियाद पर नहीं होता, बुनियाद यहाँ थी के हम राजस्थान न्यालय परिसर से मनु की मूर्ति को तुड़वा देते, तो मा. न्यायधीश की भी आज हिम्मत नहीं होती के वो आज इस तरह का बेहूदा बयान देते, जस्टिस कर्नन ही चाहिए ऐसे मनुवादी मांत्रिक तांत्रिक को सुधारने के लिए..



 (डिस्क्लेमर- उपरोक्त लेखक के निजी विचार है, सोशल डायरी से कोई सरोकार नहीं)

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