हर रेप पीड़ित निर्भया नहीं होती, दलित-मुस्लिम भी होती है, न्याय की उम्मीद असंभव ही रहती है - पुनम लाल

CITY TIMES
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कुछ चीजें मिलकर स्थिति को बहुत ही चिंताजनक बनाती है ....पहली ...देश का प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री भगवे रंग रंग के प्रभाव से प्रभावित हैं ....
सालों पहले हुए निर्भया कांड में लोगों ने... मीडिया ने ....समाचार पत्रों ने ...इतना शोर मचाया कि आखिरकार न्याय मिल ही गया..... पर हर बार ऐसा हो यह जरूरी नहीं... क्योंकि न्याय के लिए कुछ चीजों का होना अनिवार्य है जैसे आप हिंदू धर्म से हो.... आपकी जाति ऊंची हो.... तभी आपके दर्द को दर्द समझा जाएगा ....आपकी तकलीफ को तकलीफ समझा जाएगा ... आपको इंसान समझा जाएगा.....
ताजा मामला बिजनौर जिले का है ....महिला सुरक्षा के नाम पर #एंटी_रोमियो_स्क्वाड का गठन कराया गया ..... लेकिन चलती ट्रेन में एक मुस्लिम महिला से स्वयं सीआरपीएफ के सिपाही द्वारा बलात्कार इंसानियत को शर्मसार करने के लिए काफी है..... जिस की नियुक्ति रक्षा करने के लिए रेलवे में करी गई ... जब वही दरिंदगी करने लगे तो कानून और व्यवस्था पर कैसे विश्वास किया जा सकता है!!!!!



लड़की इतनी डरी हुई है कि वह बदहवास है और कुछ भी बता पाने में असमर्थ है.....ऊपर से वह बीमार भी थी.... जिस की बीमारी का फायदा उठाकर एक विकलांग कोच में ले जाकर अपनी मर्दानगी का नंगा नाच किया .....उसे न तो लोगों का भय था और ना ही अपनी नौकरी जाने का डर ......
यह ताकत उसे कहां से मिली????? सोचने की बात है... शायद भगवा रंग उसे इतनी हिम्मत दे गया कि वह चलती ट्रेन में अन्य यात्रियों के सामने विकलांग कोच में महिला के साथ जबरदस्ती कर बैठा...... एक बात जो मेरी समझ में आती है वह यह कि यह भी महिला मुसलमान हो या दलित हो उसके विषय में सोशल मीडिया पर भले ही हो हल्ला हो जाता है पर न्याय की उम्मीद नहीं रहती है ....और मैं यह हवा में नहीं कह रही ....आप पिछले दो-तीन साल का रिकॉर्ड देख लीजिए.... नजीब का क्या हुआ!!! आज तक लापता है.... रोहित वेमुला.....
महिला मुसलमान हो या दलित हो ...उसके विषय में सोशल मीडिया पर भले ही हो हल्ला हो जाता है पर न्याय की उम्मीद असंभव ही रहती है ....
फिर एक बार और उम्मीद का दिया जलाए बैठी हूँ कि शायद...शायद योगी जी अपनी छवि पर बचाने के प्रयास में इस मामले में कुछ ठोस कदम उठाएँ....क्योंकि थाने में उस दरिंदे के खाने पीने का बाकायदा इंतजाम किया गया है जैसे वो रेप करके नहीं.....बार्डर पर दुश्मनों के सिर काट कर लाया हो....
पूनम मिर्ची, इनकी फेसबुक वाल से साभार
डिस्क्लेमर-उपरोक्त लेख में लेखिका के निजी विचार है, सोशल डायरी से कोई सरोकार नहीं

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