जापान में सुनामी ।। बूढ़ी औरत ।। हमारा राष्ट्रवाद
जब जापान में सुनामी आयी तो एक बूढ़ी औरत वहाँ पर छाते लगाकर कुछ इलेक्ट्रिक सामान बेच रही थी । BBC के रिपोर्टर ने उससे रेट मालूम किए तो अंदाज़ा हुआ कि बूढ़ी औरत मार्केट से सस्ते दाम पर सामान बेच रही है । जब रिपोर्टर ने उस बूढ़ी औरत से उसकी वजह पूछी तो उसने कहा कि में मार्केट से होलसेल पर सामान लाती हूँ और अपने मुसीबत में फंसे लोगों को उसी रेट पर सामान बेच देती हूँ । यह मेरा मेरे देश के लिए योगदान है। यह राष्ट्रवाद है ।
हमारा राष्ट्रवाद नारे लगाने भर का है। हैंड सेनिटाईज़र और फ़ेसमास्क हमारे यहाँ दस गुना क़ीमत पर मिल रहे हैं। ज़रा सी अफ़वाह उडे तो पड़ोस की दुकान पर आटा, चावल, दाल की दरों में बढ़ोतरी हो जाता है। अस्पतालों की तो ऊपर वाला ही खैर करे बीमारी से कम ईलाज के आभाव मे ज्यादा मर जाए,हम आपदा मे अवशर ढूढं लेते है, यहां तक चिताओं को नही छोड़ते जहां 5000 से 7000 के खर्च में अतिंम संस्कार हो जाते है वहां 20000 से 25000 लगते हैं वो भी लाईन लगा के।
सत्यता यही है कि हम सब मुनाफ़ाखोर और संवेदनहीन हो गए है। हमारा राष्ट्रवाद किस काम का यदि हम अपने समाज की बुरे समय में सहायता न करें।
- नज़ीर अहमद